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बवासीर (Piles) : कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार और बचाव
बवासीर, जिसे हिंदी में अर्श कहा जाता है, एक आम लेकिन तकलीफ़देह समस्या है। इसमें गुदा और मलाशय की नसों में सूजन आ जाती है, जिससे दर्द, जलन और कभी–कभी रक्तस्राव भी होता है। आधुनिक जीवनशैली, फास्ट फूड, लंबे समय तक बैठकर काम करना और अनियमित दिनचर्या इसकी प्रमुख वजह बनते जा रहे हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, बवासीर त्रिदोषों (वात, पित्त और कफ) के असंतुलन से उत्पन्न होता है, विशेष रूप से वात और पित्त दोष इसमें मुख्य भूमिका निभाते हैं।
बवासीर के प्रकार
आंतरिक बवासीर (Internal Piles) – यह गुदा के अंदर होता है, और अक्सर खून निकलने से ही पता चलता है।
बाहरी बवासीर (External Piles) – यह गुदा के बाहर सूजन या गांठ के रूप में होता है और बहुत दर्दनाक होता है।
मिश्रित बवासीर (Mixed Piles) – जब आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार की समस्या साथ हो।
बवासीर के कारण
लगातार कब्ज़ रहना और मल त्याग के समय ज़ोर लगाना
अत्यधिक मसालेदार, तैलीय और जंक फूड का सेवन
पानी और फाइबर की कमी वाला आहार
लंबे समय तक बैठे रहना (जैसे ऑफिस जॉब या गाड़ी चलाना)
गर्भावस्था और प्रसव के दौरान दबाव
मानसिक तनाव और असंतुलित दिनचर्या
अत्यधिक शराब और धूम्रपान
बवासीर के लक्षण
गुदा क्षेत्र में दर्द और जलन
शौच के समय रक्तस्राव (खून आना)
गुदा के पास गांठ या सूजन
लगातार खुजली और असुविधा
अधूरा मल त्याग होने की अनुभूति
बवासीर में आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
आयुर्वेद बवासीर को केवल एक शारीरिक रोग नहीं मानता, बल्कि यह खानपान और जीवनशैली की गड़बड़ी का परिणाम है। आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य सिर्फ़ लक्षणों को कम करना नहीं, बल्कि दोषों का संतुलन कर शरीर को पुनः स्वस्थ बनाना है।
उपचार के मुख्य आधार:
औषधि (Herbal Medicines)
आहार (Dietary Advice)
विहार (Lifestyle Changes)
शोधन चिकित्सा (Panchakarma / Detox Therapy)
आयुर्वेदिक औषधियाँ और घरेलू उपाय
त्रिफला चूर्ण – रोज़ रात को गुनगुने पानी के साथ लेने से कब्ज़ दूर होता है।
अर्जुन छाल का काढ़ा – रक्तस्राव कम करने और नसों को मज़बूत बनाने में सहायक।
हरिद्रा (हल्दी) – सूजन और इंफेक्शन को कम करती है।
अलसी के बीज – मल त्याग को आसान बनाते हैं।
गुनगुने पानी का Sitz Bath – गुदा क्षेत्र की सूजन और दर्द को तुरंत कम करता है।
बवासीर में आहार और जीवनशैली
✔ फाइबर से भरपूर आहार लें – हरी सब्ज़ियाँ, फल, साबुत अनाज।
✔ दिनभर पर्याप्त पानी (8–10 गिलास) पिएं।
✔ रोज़ाना हल्का व्यायाम और योग करें।
✔ मसालेदार, तैलीय और जंक फूड से परहेज़ करें।
✔ लंबे समय तक बैठने से बचें, बीच-बीच में टहलें।
✔ तनाव कम करने के लिए प्राणायाम और ध्यान करें।
बवासीर में लाभकारी योगासन
पवनमुक्तासन
वज्रासन
बालासन
मलासन (Garland Pose)
अधोमुख श्वानासन
ये आसन पाचन सुधारते हैं, कब्ज़ दूर करते हैं और गुदा क्षेत्र में रक्त संचार बढ़ाते हैं।
निष्कर्ष
बवासीर कोई असाध्य रोग नहीं है। यदि समय पर लक्षण पहचाने जाएँ और उचित आयुर्वेदिक उपचार अपनाया जाए, तो यह पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। संतुलित आहार, नियमित योग, और आयुर्वेदिक औषधियाँ न केवल रोग का निवारण करती हैं, बल्कि शरीर को भीतर से मज़बूत भी बनाती हैं।