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गुदा विदर (Fissure): कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार
गुदा विदर (Anal Fissure) गुदा मार्ग की परत में एक छोटा सा चीरा या दरार होता है। यह समस्या अक्सर कठोर मल त्याग या कब्ज़ के कारण होती है। इसमें शौच के समय तेज़ दर्द, जलन और कभी-कभी खून निकलना जैसी तकलीफ़ें होती हैं। आयुर्वेद में इसे परीकर्तिका कहा गया है, जिसका अर्थ है “काटने जैसा तीखा दर्द।” यह प्रायः वात दोष असंतुलन और पाचन की गड़बड़ी से उत्पन्न होता है।
गुदा विदर के कारण
लगातार कब्ज़ और कठोर मल त्याग
लंबे समय तक दस्त रहना
मल त्याग के समय ज़ोर लगाना
फाइबर और पानी की कमी वाला आहार
गर्भावस्था और प्रसव के बाद दबाव
लंबे समय तक बैठे रहना, व्यायाम की कमी
अत्यधिक मसालेदार और तैलीय भोजन का सेवन
गुदा विदर के लक्षण
मल त्याग के समय तेज़ दर्द और जलन
मल त्याग के साथ ताज़ा खून आना
गुदा के पास चीरा या दरार दिखाई देना
लगातार खुजली और असुविधा
गुदा की मांसपेशियों में ऐंठन
दर्द के डर से मल त्याग टालना
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
आयुर्वेद में गुदा विदर को परीकर्तिका कहा गया है। इसका मुख्य कारण है – अग्नि (पाचन शक्ति) की कमजोरी और वात दोष का असंतुलन। आयुर्वेदिक उपचार का लक्ष्य है –
कब्ज़ को दूर करना
गुदा की दरार को भरना
पाचन और जीवनशैली को संतुलित करना
आयुर्वेदिक उपचार व घरेलू नुस्खे
त्रिफला चूर्ण – रात को गुनगुने पानी के साथ लेने से कब्ज़ दूर होता है।
गर्म दूध में घी – मल को मुलायम बनाता है और आंतों को चिकनाई देता है।
सिट्ज बाथ – गुनगुने पानी में 10–15 मिनट बैठने से दर्द और सूजन कम होती है।
एलोवेरा जेल – दरार पर लगाने से घाव जल्दी भरता है।
अरंडी का तेल (Castor Oil) – हल्का रेचक (laxative) है, जिससे मल आसानी से निकलता है।
आहार और जीवनशैली
✔ हरी सब्ज़ियाँ, फल और साबुत अनाज जैसे फाइबरयुक्त भोजन खाएँ।
✔ दिनभर पर्याप्त पानी (8–10 गिलास) पिएँ।
✔ मसालेदार, तैलीय और जंक फूड से परहेज़ करें।
✔ हल्का व्यायाम और योगासन नियमित करें।
✔ तनाव कम करने के लिए प्राणायाम और ध्यान करें।
✔ मल त्याग की इच्छा को कभी न रोकें।
फिशर में लाभकारी योगासन
वज्रासन
पवनमुक्तासन
मलासन (गारलैंड पोज़)
बालासन (चाइल्ड पोज़)