गुदा भगन्दर (Fistula): कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार

गुदा भगन्दर (Anal Fistula) एक गंभीर गुदा रोग है जिसमें गुदा मार्ग के पास एक असामान्य छिद्र या सुरंग बन जाती है। यह छिद्र अक्सर गुदा की अंदरूनी ग्रंथि में संक्रमण (Abscess) से शुरू होता है और धीरे-धीरे बाहर की त्वचा तक रास्ता बना लेता है। इससे लगातार मवाद, दर्द और असुविधा बनी रहती है।
आयुर्वेद में इसे भगन्दर कहा जाता है। ग्रंथों में इसे जटिल और तकलीफ़देह रोग माना गया है, लेकिन उचित आयुर्वेदिक चिकित्सा से इसका स्थायी उपचार संभव है।


फिस्टुला के कारण

  • गुदा क्षेत्र में बार-बार संक्रमण या फोड़ा

  • पुराना या अनुपचारित पाइल्स / फिशर

  • लंबे समय तक कब्ज़

  • खराब पाचन और असंतुलित आहार

  • मधुमेह या प्रतिरोधक क्षमता की कमी

  • अत्यधिक तैलीय, मसालेदार और जंक फूड का सेवन


फिस्टुला के लक्षण

  • गुदा क्षेत्र में दर्द और सूजन

  • छिद्र से मवाद या रक्त का रिसाव

  • बार-बार गीलेपन और बदबू की समस्या

  • मल त्याग के समय दर्द और जलन

  • गुदा क्षेत्र में कठोर गांठ या सुरंग महसूस होना

  • थकान और बुखार (कभी-कभी)


आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद में भगन्दर का मुख्य कारण त्रिदोषों का असंतुलन और आम (विषाक्त तत्व) का जमाव माना जाता है।
उपचार के मुख्य उद्देश्य हैं:

  • संक्रमण और मवाद को समाप्त करना

  • छिद्र और मार्ग को भरना

  • पाचन और प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करना


आयुर्वेदिक उपचार और घरेलू उपाय

  • क्षार सूत्र चिकित्सा – आयुर्वेद में फिस्टुला का अत्यंत प्रभावी उपचार है। इसमें औषधीय धागे का प्रयोग कर मार्ग को धीरे-धीरे बंद किया जाता है।

  • त्रिफला चूर्ण – कब्ज़ दूर करने और आंतों को साफ़ रखने में सहायक।

  • नीम और हल्दी – एंटीसेप्टिक गुण संक्रमण को रोकते हैं।

  • गर्म पानी का Sitz Bath – दर्द और सूजन में राहत देता है।

  • अर्जुन छाल का काढ़ा – रक्तस्राव कम करने और ऊतक को भरने में उपयोगी।


आहार और जीवनशैली

✔ फाइबर युक्त आहार लें – हरी सब्ज़ियाँ, फल, अनाज।
✔ भरपूर पानी पिएँ।
✔ मसालेदार, तैलीय और भारी भोजन से बचें।
✔ हल्का व्यायाम और योग करें।
✔ कब्ज़ को बिल्कुल न होने दें।
✔ स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।


लाभकारी योगासन

  • वज्रासन

  • मलासन (Garland Pose)

  • पवनमुक्तासन

  • बालासन


निष्कर्ष

गुदा भगन्दर (Fistula) एक जटिल लेकिन इलाज़ योग्य रोग है। आधुनिक चिकित्सा में इसका ऑपरेशन किया जाता है, लेकिन कई बार रोग दोबारा लौट आता है। आयुर्वेदिक क्षार सूत्र चिकित्सा और जीवनशैली सुधार के साथ फिस्टुला का स्थायी समाधान संभव है।